डॉक्टर के पर्चे की आवश्यकता
शराब का सेवन न करें, क्योंकि यह उनींदापन बढ़ा सकती है और लिथियम के स्तर को प्रभावित कर सकती है, जिससे साइड इफेक्ट्स खराब हो सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान लिथियम का प्रयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब यह स्पष्ट रूप से आवश्यक हो।
लिथियम दूध में प्रवेश करती है और बच्चे को नुकसान पहुँच सकती है।
लिथियम चक्कर, उनींदापन या धुंधला दृष्टि का कारण बन सकती है।
लिथियम गुर्दे की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है।
कोई बड़ी चिंता नहीं, लेकिन यदि आपके पास महत्वपूर्ण यकृत रोग है तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
लिथियम कार्बोनेट: लिथियम शरीर में नसों और मांसपेशियों की कोशिकाओं में सोडियम के प्रवाह को प्रभावित करके काम करता है, जिससे मूड नियमन और व्यवहार प्रभावित होते हैं। यह सेरोटोनिन स्तर को बढ़ाकर मूड को स्थिर करता है, उन्माद के लक्षणों (जैसे अतिसक्रियता, तेजी से बोलना और आवेगपूर्ण व्यवहार) को कम करता है, और द्विध्रुवीय विकार में अवसाद और मूड स्विंग्स को रोकता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर: बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जो अत्यधिक मूड स्विंग्स का कारण बनती है, जिसमें मैनिक एपिसोड (उच्च ऊर्जा, चिड़चिड़ापन और आवेगपूर्ण व्यवहार) और डिप्रेशन (निम्न मूड, थकान और निराशा की भावना) शामिल होते हैं। लिथियम विषाक्तता: लिथियम विषाक्तता तब होती है जब रक्त में लिथियम स्तर बहुत अधिक हो जाता है। लक्षणों में गंभीर नींद, भ्रम, धुंधली दृष्टि, तुतलाहट और चलने में कठिनाई शामिल होते हैं।
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